डॉ सोनेलाल पटेल अमर रहें। अनुप्रिया पटेल ज़िंदाबाद जिंदाबाद।
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प्रिय मित्रों,
अपने बचपन से ही मैंने अपने परिवार को समाज के लिए न सिर्फ सेवा कार्य अपितु संघर्ष करते हुए देखा था। जहाँ भी में जाता, मैं ये पाता था कि मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण मुझे प्रेम की दृष्टि से देखा जाता था, ये मेरे बाल्य काल की बात है, शायद वहीँ से ही समाज हेतु समर्पण व प्रेम के भावों ने मुझ पर अपना प्रभाव छोड़ा। "परम श्रधेय स्वर्गीय बाबा जी पं० फुंदल लाल शर्मा(वरिष्ठ समाजसेवी) जो 4 बार(20 साल) चुनाव लड़े व जीते, वाईस चैयरमेन रहे" बाबा जी जनसंघी थे। ये मेरे जन्म से पहले की बात है पर जबसे मेने होश संभाला बाबा जी के किस्से प्रत्येक दिन घर पर आने वाले आगन्तुं मुझे बड़े चाव से बताया करते थे और मैं हमेशा उनसब की बातों को बहुत ध्यान से सुनता था। शायद उनके आदर्शों पर चलने का प्रयास में आज भी कर रहा हूँ।
सन 2011 में दिल्ली से 4 वर्ष बाद वापस अनूपशहर(मेरी जन्म भूमि) आने के बाद मैंने समाजसेवा के छेत्र में कदम रखा। जैसे जैसे मेरी सक्रियता बढ़ती गई मैंने पाया कि समाजसेवा का छेत्र असल में राजनीती का अखाडा था जिसमे एकता, सामाजिक समरसता, आपसी सद्भाव सिर्फ मंचों पर बोलने वाले वो शब्द मात्र थे जोकि निजी हितों को साधने व जनता को बरगलाने वाले शस्त्र के रूप में प्रयोग किये जाते थे। इस राजनीतिक अखाड़े में मल्ययुद्ध निरंतर चलता रहता था व नेता रूपी पहलवान निरंतर दुसरे नेता को पटखनी देने में लगे रहते थे। जो समर्पण भाव मैंने अपने परिवार व उस समय के लोगों में देखा था अब वो कहीं भी नहीं था। इसी बीच एक कारणवश विशेष परिस्थितियों में मेरा जुड़ाव एक राजनेतिक दल से हुआ उसके लिए चुनावों में काम किया उस समय मैं नया था कोई पकड़ नहीं थी सिर्फ सम्बन्ध थे जिनके आधार पर उस दल के हित में न सिर्फ मैं अपितु मेरा परिवार, मेरे सभी मित्र सभी साथी, उस पार्टी को विशाल जनादेश दिलाने में सफल रहे। उस दल ने हमें सम्मान भी दिया पर मैंने पाया कि लोहिया जी का समाजवाद अब सिर्फ किताबों में था। फिर भी उस सब पे ध्यान न देकर में समाज के लिए काम करता गया। मुझे बहुत से विरोधावासों का सामना भी करना पड़ा क्योँकि विचारधारा कुछ और ही थी और हो कुछ और ही रहा था। पर मैं आप सभी के साथ और आशीर्वाद के दम पर निरन्त संघर्ष करता गया।
समय ने मुझे "धर्मवाद", "जातिवाद", "राजनीतिक विद्वेष", जैसे अनेक शब्दों का भेद कराया जिनके विरुद्ध मैंने खुद को समाज के लिए और भी समर्पित कर दिया। सुबह से शाम तक अनेक लोग कोई न कोई उम्मीद लेकर मैरे पास आने लगे और उनकी सेवा मैं निःस्वार्थ भाव से करता गया प्रत्येक आगंतुक का मैं वेसे ही सम्मान करता जैसे अपने किसी रिश्तेदार का अपने घर आने पर करता था। आप सब का अपार प्रेम और आशीर्वाद मुझे मिलता गया। बहुत से संकट भी आए पर आपने मुझे हिम्मत नहीं हारने दी और मैं बेदाग़ मन और छवि के साथ आपके बीच में बना रहा। इन 5 सालों के सफर में इतना तो मैं समझ ही गया था कि जिन लोगों की वजह से नगर व छेत्र के नागरिकों को तक़ल्फ हुई उनका तो साथ नहीं दूंगा! पार्टी से एक चुनाव में टिकट पक्की थी परंतु अपनी राजनीतिक महत्वाकांशाओं का परित्याग कर अपने सिध्दांतों व आत्म सम्मान के लिए उस पार्टी से त्यागपत्र देकर विना किसी पार्टी की सदस्यता लिए एक ऐसे प्रत्याशी को अपने साहियोगियों, साथियों व समर्थकों के साथ समर्थन दिया जिनसे न सिर्फ मुझे अपितु समस्त छेत्र को बहुत उम्मीदें थीं। भाजपा प्रत्याशी की भरी मतों से विजय हुई।
राजनीति मेरे लिए कोई महत्त्व नहीं रखती! सिद्धांत और स्वाभिमान के लिए कुछ भी कर सकता हूँ और मैने किया है।
इस समय अवधि में, मैं उन सभी का हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने इस मुश्किल सफर में मेरा साथ दिया, उनका भी की जिन्होंने नहीं दिया। उनके लिए भी आभार जिन्होंने मेरा विरोध किया। मैं आप सभी से प्रेम करता हूँ।
मैं राजनीति से शुरुआत से ही ज़्यादा वास्ता नहीं रखता परंतु समाज के हितों और उत्थान के लिए मेरा संघर्ष जारी रहेगा। NDA गठबंधन की सरकार केंद्र और प्रदेश में बहुत अच्छा काम कर रही है और मैं सरकार की नीतियों के पूर्ण समर्थन में हूँ और आप सभी साथियों के रूप में मेरा बहुत बड़ा परिवार है जो निरंतर दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है।
क्योँकि मैं मानता हूँ कि:
अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम् ।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥
अर्थात :
तेरा मेरा करने वाले लोगो की सोच उन्हें बहुत कम देती हैं, उन्हें छोटा बना देती हैं।
जबकि जो व्यक्ति सभी का हित सोचते हैं उदार चरित्र के हैं पूरा संसार ही उसका परिवार होता हैं ।
71, छत्ता, अनूपशहर, जनपद बुलन्दशहर, उत्तरप्रदेश, 203390, भारत मोबाइल: +91-75005 40054 +91- 75005 40054